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कल्पनाको डायरी
Published : April 03, 2009 | Author : बृत्त-आधार | Rating :     |
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कल्पनामा
सक्दो हाँसियो
मुटुमा गैरो भई गाडिएको मायाको खिल
मुटुमै कतै बिलाइदिन खोज्दै
कस्सी कस्सी हाँसियो
हाँसिहाँसी ......
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तेलखानी बिनाको नेपाल र ठमेलहरु
Published : February 04, 2009 | Author : बृत्त-आधार | Rating :     |
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A poem of terrible attack from capatism 'state'
तेलखानी बिनाको नेपाल
आज इराक हुनु परेन,
बारुदको तुवाँलोभित्र रुमलिनु परेन,
हिटलरी दमनभन्दा दर्द मूलक
भयंकर अमेरिकी सेनाको
पदचापद्वारा कुल्चिइनु परेन,......
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जल्छौ कि कही आफ्नै कसमले
गल्छौ कि कही आफ्नै कसमले
खुशीहरू रित्तिए घात गर्यो जब
बल्छौ कि कही आफ्नै कसमले
डुब्दैछ घाम छाडि गोधुली साँझ
छल्छौ कि कही आफ्नै कसमले |
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