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चार वासा
Published : March 26, 2014 | Author : मोती चाम्लिङ | Unrated |
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हामी चार वासाहरुको भूमिका एउटै, ओहदा उस्तै,
आफू वनेका कारखाना एउटै, पदार्थ उस्तै
पहिले पहिले हामी कागजले वनाइन्थ्यौं
हिजो आज कमसेकम प्लाष्टिकमा मोडिएका छौं
हामी यति शक्तिशाली छौं
जति हुनुपर्ने हो त्यति चाहिं छैनौं
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वसाहा अनि गोरेटाहरु
Published : September 04, 2013 | Author : मोती चाम्लिङ | Rating :     |
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आज गोरेटाहरु खुम्चिएका हुन् कि
शीघ्र पदचापका निम्ति शायद होइनन ती
स्वतन्त्रताका निम्ति लायक छैनन ती
अक्सर सुन्दै आएको आहान एउटा कहानी छ नी
वसाहा जस्तो मान्छे !
किन्तु मनुवा जस्तो वसाहा कहिल्यै सुनिएन लोकमा
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'स्खलन र उत्थान प्रपञ्च पथमा'
Published : August 08, 2013 | Author : मोती चाम्लिङ | Rating :     |
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महामानवले भनेका थिए, तिमी त्यो वाटो नलाग
परन्तु तिमी त्यै वाटो लाग्यौ
हिजो अस्तिका दिन झैंलागीरहेछ
त्यो सिस्ने हिमाललाई साक्षी राखेर,
तिमीले अनगिन्ति मनहरुलाई वली चढाइदियौ
वलीवेदिको भेलमा खहरे, हेलीएर सकिए ती
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अभिलाशा जितापत्रको
Published : December 28, 2012 | Author : मोती चाम्लिङ | Unrated |
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ऊ घायल एक व्यथित रोहीत
साइवेरियाको सिरेटोमा फाल हानिरहन्छ
अपितु संवेग उर्मिमा अल्झिन्छ,
त्यो जिय पूरै अन्तर्वाष्पले लपक्क छ
कठोर शमित देहको कोमलास्थि
चौघेरा किनारका व्याधाहरु
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जमाना र हामी
Published : December 02, 2008 | Author : मोती चाम्लिङ | Rating :     |
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कोही भन्दैछन्, हाम्रो आयो जमाना
कोही भन्दैछन्, हाम्रो गयो जमाना
साँच्चिकैमा जमाना स्थिर नभएर
नदि झै अटल बग्दो छ निरन्तर ......
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पीरले लोलाएको
यो समयमा
उल्झिएका छन्
मेरा प्रत्येक दिनहरु !
मन भित्र भित्रै
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