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गजल
Published : February 26, 2014 | Author : तोरण राई | Unrated |
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गजल अभाबहरू को अथाह पिरले
गुजरा गर्दैथी बेचेर शरीरले ।
मासुको चोक्टा थ्यो सोच्दा
छेडिन्थी उनी बचनी तीरले ।
दु:ख पनि यति सम्मको
खैत अन्न भन्थे मंसिरले ।
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गजल
Published : February 08, 2014 | Author : तोरण राई | Rating :     |
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घरिघरी बिफल योजनाहरू
अनी यसैले दिए बेदनाहरू
आफ्नो भन्ने हुँदा मात्रै हो
दुस्ख पर्दा शुभ-कामनाहरू
के कुरा गर्नु मायाको त !
कन्डोम सँगका तुलनाहरू
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तिमी जुन ताराको कुरा गर्छौ तिमी
चाँदनी रातको पुरा तुन्छौ
हर दिन हर रात साथ हुन्छौ
मिठा मिठा सपनाका कुरा गर्छौ
तर म आफैंलाई थाहा छैन
खोइ, |
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